अधिकारी संघ अध्यक्ष के विवादित बयान पर ब्राह्मण समुदाय ने मांगी कार्रवाई, सीएम और पुलिस आयुक्त को भेजा पत्र

 

*दिनांक: 10 दिसंबर, 2015

स्थान:कानपुर*

 

 

अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकारी व कर्मचारी संघ (अजाक्स) के नवनियुक्त अध्यक्ष तथा आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के एक विवादित बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तूफान ला दिया है। उनके बयान के खिलाफ कानपुर निवासी एक अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त को शिकायत पत्र भेजकर कानूनी कार्रवाई और अधिकारी के विरुद्ध सेवा नियमों के तहत कार्यवाही की मांग की है।

 

अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रचलित एक वीडियो में संतोष वर्मा ने कहा है – “एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण तब तक मिलता रहना चाहिए, जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान में न दे या उससे संबंध न बना ले।”

 

शिकायतकर्ता ने इस बयान को “समाज में नफरत फैलाने वाला और हिंसक कृत्यों को उकसाने वाला” बताया है। उनका आरोप है कि यह टिप्पणी एक सभ्य समाज और सरकार की नीतियों के विरुद्ध है, जिससे ब्राह्मण समुदाय के लोग रोष में हैं। पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि समय रहते कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, तो एक समुदाय स्वयं को हीन और कमजोर महसूस करेगा।

 

नीरज त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया है कि संतोष वर्मा के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया जाए तथा सिविल सेवा नियमावली के प्रावधानों के तहत उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई, यहां तक कि बर्खास्तगी तक की जाए।

 

इस विवाद ने एक बार फिर सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के विवेकपूर्ण और संवेदनशील बयानों की आवश्यकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभी तक संतोष वर्मा या संबंधित विभागों की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पुलिस प्रशासन द्वारा शिकायत पर किस तरह की कार्रवाई की जाती है, यह अगले कुछ दिनों में स्पष्ट होगा।

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