165 व श्रीमत भागवत कथा सप्ताह प्रयाग नारायण मंदिर शिवाला कानपुर श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस के शुभ अवसर पर आचार्य योगेश जी महाराज ने भगवान का भक्त वत्सल का परिचय करते हुए श्री नारद जी एवं वेदव्यास भगवान का संवाद सुनाया आचार्य ने बताया कि संगत अगर अच्छी है हो तो व्यक्ति का जीवन बदल सकता है नारद जी ने एक दासी पुत्र थे परंतु उनके वहां एक पधारे हुए संतों की संगति प्रकार उनके अंदर भक्ति का बीज अंकुरित हो आया और भगवान की कृपा करना से संत मिले और संत कृपा से दासी पुत्र नारद अगले जन्म में ब्रह्मा जी के पुत्र होकर पैदा हुए और सारे संसार में देवा श्री कहलाए तो भगवान का भजन करके अच्छे संगीत से व्यक्ति का कल्याण निश्चित हो जाता है आगे भी कथा सुनाते हुए आचार्य जी ने भक्ति के प्रकार का वर्णन किया भक्ति दो प्रकार से होती है भगवान की भक्ति आहेतु की होनी चाहिए मतलब इसमें आपका कोई स्वार्थ चिन्हित ना हो ऐसा भक्ति कर करने वाले को परमात्मा प्राप्त होते हैं दूसरी भक्ति है आप प्रकृति हवा इसमें भगवान की भक्ति की निरंतरता का वर्णन बताया गया है पूज्य महाराज श्री ने बताया कि भगवान को प्राप्त करने के लिए भक्ति में साथ-साथ आपका आचरण उत्कृष्ट होना चाहिए सत्य आचरण करने वाले को ही भगवान की प्राप्ति होती है भगवान तो कल्याण करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं परंतु भक्ति ही अपनी पात्रता में अस्तर को नहीं उठा पा रहे हैं आचार्य जी ने एक संगीत सुन कर इस भाव को स्पष्ट किया कि उनकी करुणा में कोई भी कोई कमी है नहीं पात्रता में हमारे कमी रह गई है उनकी ममता में कोई कमी है नहीं योग्यता में हमारे कमी रहे गई प्रमुख रूप से मनोज श्याम बेदी राजेंद्र शुक्ला राकेश वाजपेई विनोद दीक्षित रणजीत सिंह प्रखर श्रीवास्तव आदि
2025-07-17
