डिफेंस के लिए महत्वपूर्ण इक्विपमेंट्स बनाने वाले शहर कानपुर में अवरोध के लिए पैराशूट भी बनेंगे। जिसकी मदद से हादसे का शिकार होने या खराब होने पर ड्रोन को सुरक्षित उतारा जा सकेगा। जिससे ड्रोन के खराब होने पर भी इससे भेजी जा रही सामग्री और रिकॉर्ड किया जा रहा डाटा नष्ट नहीं होगा। आईआईटी कानपुर के फ्लाइंग जोन में इसका सफल परीक्षण किया गया है। सेना और सिविल कार्यों में आजकल ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। सेना में जहां रक्षा सामग्री से लेकर जवानों के जरूरत के अन्य सामान ड्रोन से पहुंचाए जा रहे हैं, वहीं सिविल कार्यों में दवाओं की आपूर्ति से लेकर फसलों की निगरानी फोन से हो रही है। ड्रोन के बढ़ते प्रचलन के मद्देनजर अब ड्रोन की सुरक्षा के उपाय भी आरंभ हो गए हैं। इसके तहत ड्रोन को पैराशूट से लैस किया गया है। जिसका सफल परीक्षण गुरूवार को आईआईटी कानपुर में हुआ। ड्रोन रेस्क्यू पैराशूट से लैस किया गया है। इस पैराशूट का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड ने किया है। उड़ान भरने के दौरान जब ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त होगा तो उसमें लगा पैराशूट स्वत ही खुल जाएगा और वह दुघर्टनाग्रस्त ड्रोन को सकुशल जमीन पर उतार देगा। ड्रोन का इंजन फेल होने, उसके जमीन पर गिरने की स्थिति में इसमें रखा गया सामान नष्ट नहीं होगा। यह सामान रक्षा उपकरण, गोला-बारूद या अन्य सैन्य उपयोग की कीमती सामग्री हो सकती है, जबकि पैराशूट द्वारा दुर्घटनाग्रस्त ड्रोन को जमीन पर सकुशल उतार लेने से वह सामग्री सुरक्षित बच जाएगी। कई बार ड्रोन के जरिए वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है ऐसे में ड्रोन खराब होने पर रिकार्डिंग नष्ट नहीं होगी। वहीं मेडिसिन और ब्लड दुर्गम स्थानों पर पहुंचाने के समय ड्रोन यदि हादसे का शिकार होगा तो यह सामग्री नष्ट नहीं होगी। कानपुर की पीएसयू कम्पनी पैराशूट ग्लाइडर्स ने ड्रोन के लिए पैराशूट बनाना शुरू कर दिया है। जल्द ही बाजार में और सेना के लिए पैराशूट से युक्त ड्रोन उपलब्ध होंगे। ड्रोन बनाने वाली एक कम्पनी ने पैराशूट ग्लाइडर्स को इसके लिए बड़ा ऑर्डर दिया है।
Tt- राजिब रॉय, फाउंडर ड्रोन कम्पनी