कानपुर

 

कानपुर के चिड़ियाघर (प्राणि उद्यान) ने 50 साल का सफर पूरा कर लिया है। इन 50 सालों में चिड़ियाघर ने अभूतपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल की हैं। तेंदुए की संख्या के मामले में प्रदेश में पहला स्थान है। चिड़ियाघर का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया गया। इस मौके पर कई तत्कालीन डायरेक्टर समारोह में शामिल होने प्राणि उद्यान पहुंचे और अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि 1974 से किस तरह चिड़ियाघर में दिन प्रतिदिन जानवरों की संख्या बढ़ती गई। कार्यक्रम में सेंट जॉन नवाबगंज के बच्चों ने गणेश वंदना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। वहीं अधिकारियों ने केक काटकर खुशी मनाई।

चिड़ियाघर के कैलेंडर का उद्घाटन

स्वर्ण जयंती समारोह के बीच में चिड़ियाघर के कैलेंडर का भी उद्घाटन किया गया। डायरेक्टर केके सिंह ने बताया इस कैलेंडर की खास बात यह है कि चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने जो तस्वीर ली है, उसे ही कैलेंडर में स्थान दिया गया है।

आरएस भदौरिया ने की थी स्थापना

कानपुर चिड़ियाघर की स्थापना 1974 में तत्कालीन डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने की थी। उस समय यहां 17 प्रजाति के 650 जानवर थे। मौजूदा 123 प्रजाति के 1497 जानवर है। समारोह में आरएस भदौरिया ने कहा कि चिड़ियाघर का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाए जाने की मुझे बहुत खुशी है। जिस उद्देश्य से इसे खोला गया था, उस उद्देश्य को आज मैं पूरा होते देख रहा हूं। इस समय यहां अच्छे-अच्छे जानवर है और लगातार जानवरों की संख्या बढ़ रही है। इस समय प्रदेश में कानपुर चिड़ियाघर की अपनी अलग पहचान है।

चिड़ियाघर में पहला जानवर ऊदबिलाव आया

चिड़ियाघर के डायरेक्टर केके सिंह ने बताया कि चिड़ियाघर में सबसे पहला जानवर ऊदबिलाव आया था, जो इटावा के चंबल घाटी से मछुआरों ने पड़कर वन विभाग को सौंपा था। वहीं, देश में एक जोड़ा पहला वनमानुष भी इसी चिड़ियाघर में आया था, जिसे इंग्लैंड के वन विभाग ने कानपुर के चिड़ियाघर को दिया था।

 

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