दिनांक 8.02.2024

जश्ने मेराजुन्नबी की नूरानी नातिया महफिले सजाई गयी अल्लाह बेनियाजे बदन है तो फिर कहो मेराज पर रसूल से किसने मिलाया हाथ अर्श पर नूर से नूर की बाते हुई मौलाना शाहिद इमाम बाकरी

 

कानपुर, बृहस्पतिवार

 

हुसैनी फैडरेशन के मीडिया प्रभारी डा0 जुल्फिकार अली रिजवी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आज यहां पैगम्बर इस्लाम सरदारे अम्बिया मोहसिने इंसानियत की शबे मेराज पर अल्लाह तबारको तआला से हम कलाम होने के लिये खुदावन्देआलम के फरिश्ते जिबराईल के जरिये बुलावे पर पहुंचे। इस मुबारक मौके पर कानपुर की मस्जिदों, इमामबारगाहों, कर्बलाओं, खानकाओं के अलावा मुसलमानों ने अपने घरों पर बिजली की रोशनी के जरिये चिरागां किया। नज़ व नियाज दुरूदों सलाम के बाद लंगर का आयोजन किया गया। इस मुकदस शब पर आकाए नामदार, सरदारे अम्बिया ताजादारे मदीना हजरत मोहम्मद मुस्तफा स० अ०, सरवरे कायनात की बारगाह में अकीदत का नजराना पेश किया गया। इस मौके पर शहर में सैकड़ों महफिले सजाई गयी और प्यारे नबी-ए-करीम को नजराने अकीदत पेश करने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

 

उधर शिया जामा मस्जिद की नूरानी महफिल को सम्बोधित करते हुये मौलाना ने कहा कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा स० अ० अहमदे मुख्तार को अल्लाह तआलाने जिबराईल के जरिये अपने दरबारे खास अर्श-ए-आजम पर बुलाया। नूर मुजस्सम की नूरे इलाही से बातें हुई। मौलाना ने अफजलुल बशर हजरत मोहम्मद के इस आसमानी सफर में पेश आने वाले वाकयात बयान करते हुये महफिल को नूरानी बना दिया।

 

दूसरी तरफ इमाम बारगाह नज़ीर मंजिल ग्वालटोली मकबरा की महफिल को खिताब करते हुये मौलाना शाहिद इमाम बाकरी ने कहा कि मुसलमानों के पैगम्बर ताजदारे मदीना के लिये खुदावन्दे आलम ने शबे मेराज नबी-ए-आखिरूज्जमा के लिये बुर्राक (बिजली की रफतार से तेज चलने वाली सवारी) भेजी जिस पर नूरे मुजस्सम फखरे मौजूदात सवार होकर सातों आसमानों से गुजरने के बाद सिदरतुल मुन्ताहा अर्श-ए-मोअल्ला पर जब नबी-ए-करीम पहुंचे। मौलाना ने आगे कहा कि जिबराईल ने कुछ दूर पहले ही अपने कदम यह कहते हुये रोक लिये थे कि इससे आगे बढ़ने पर मेरे पर जल जायेंगे। आगे का सफर हजरत मोहम्मद मुस्तफा स० अ०ने काबा कौसेन व अदना की मंजिलों को पार करने के बाद अल्लाह जिल्लेशानहू और ताजदारे अम्बिया में सिर्फ दो कमानों का फासला रह गया था। आलिमेदीन ने आगे कहा अल्लाह और उसके रसूलेआजम में गुफ्तगू हुई नूर से नूर की बातें हुई। उन्होंने कहा कि हदीस में है कि खालिके अकबर ने लहजए हजरत अली करम अल्लाहो वजहू में कलाम किया। दौराने महफिले नारे तकबीर नारे रिसालल नारे हैदरी और नारे सलवात के गगनभेदी नारे लगाये जा रहे थे। इसके उपरांत शोराए कराम ने जश्ने मेराजुन्नबी की महफिल में अपने मन्जूम कलाम के जरिये ताजदारे मदीना की बारगाह में अकीदत के नजराने पेश किए। कुछ अंशआर इस तरह है अल्लाह बेनियाजे बदन है तो फिर कहो-मेराज पर रसूल से किसने मिलाया हाथ स्व० ताहिर नजीर कानपुरी के भी ये अश्आर पढ़े गये।

 

आके जिबरील ने एक शब यह मोहम्मद से कहा,

है खुदा तालिबे दीदार मदीने वाले शवाब काजमी

 

महफिल की अध्यक्षता शबाब काजमी व संचालन मौलाना इंतेखाब आलम काजमी मौलाई ने किया। फूलों के जरिये गुलपोशी की जिम्मेदारी स्वागत अध्यक्ष हाजी वाजिद अली रिजवी व डा० जुल्फिकार अली रिज़वी ने अंजाम दी। महफिल के संयोजक हाजी

मुंसिफ अली रिज़वी करबलाई थे।

 

इस मुबारक मौके पर शोरए इकराम में शवाब काजमी, तहजीब कानपुरी, ताज कानपुरी , असर कानपुरी, हसन महमूदाबादी, , सिकन्दर सीतापुरी, फिरोज कानपुरी, फैजी कानपुरी, मेहमाने खुसूसी ताज कानपुरी थे। दूसरी तरफ मस्जिद करबला आजम अली खां की महफिल को मौलाना नुसरत आब्दी ने , मस्जिद फूलवाली गली की महफिल को मौलाना आसिम हुसैन, मस्जिद पटकापुर की महफिल को मौलाना हामिद हुसैन ने खिताब किया। इसी तरह मस्जिद अल्लाहोअकबर जाजमऊ, मस्जिद जूही सफेद कालोनी और बड़ी कर्बला की महफिल के अलावा सैकड़ों महफिले खानकाहो, कर्बलाओं और इमाम बारगाहो में आयोजित की गई।

 

उपरोक्त महफिलों में नवाब मुमताज, डा० जुल्फिकार अली रिजवी, अली अख़्तर रिजवी मौलाना हामिद हुसैन , अज़हर हुसैन,आसिफ रिजवी , नजरे आलम जाफरी,अकील आलम, ऐमन रिज़वी ,जामिन रिज़वी

अनवार अहमद सज्जादी, हसन आलम, आरिफ रिजवी, आदिल रिजवी, आमिर रिजवी, असकरी रिजवी, अयाज हैदर मौलाना बशीर हैदर, जवाज हैदर, कुमैल युसुफ जाफरी, फुरकान हैदर, नज़ीर हैदर रिज़वी, मुजीबुल हसन प्रमुख थे।

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