*163 व श्री बैकुंठ उत्सव प्रयाग नारायण मंदिर शिवला में मनाया गया*

 

कानपुर 21 जनवरी दिन रविवार दक्षिण भारतीय 163 वर्ष प्राचीन महाराज प्रयाग नारायण मंदिर शिवाला में “श्री बैकुंठ उत्सव” मनाया गया यह पांच दिवसीय उत्सव प्रति वर्ष पौष शुक्लपक्ष की एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक मनाया जाता है ।

 

प्रथम दिन उत्सव का मुख्य आकर्षण संस्कृत एवं तमिल भाषा में विशेष मंत्र उच्चारण के साथ एकादशी को प्रातः 10:30 बजे बैकुंठ द्वार (एक विशेष द्वारा) को खोला गया यह दरवाजा जो की प्रतिवर्ष एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक भक्तों के दर्शन हेतु खुला रहता है ।

असंख्य भक्तगण भगवान श्री वैकुंठ नाथ (लक्ष्मी नारायण भगवान) के भव्य स्वर्ण सिंहासन को कंधे पर रखकर इसी बैकुंठ द्वार से बाहर आए साथ ही दक्षिण भारत के चार आचार्य (अलवर ) के रजत सिंहासन भी रहे ।

 

यह स्वर्ण सिंहासन (शिवाला) मंदिर के प्रांगण में भक्तों के कंधे में विराजमान होकर परिक्रमा हुई परंपरागत विशेष निर्मित अंग वस्त्र एवं विशेष निर्मित पेड़ा प्रसाद वितरण किया गया। यह महोत्सव आम जनमानस में बड़े पेड़े वाला उत्सव के नाम से चर्चित है।

 

 

उत्तर भारत में वृंदावन, अयोध्या के अतिरिक्त भक्ति एवं आस्था का यह स्वरूप केवल कानपुर के इस स्थान (मंदिर) में देखने को मिलता है। आम जनता (भक्तों) ने इस अवसर पर आज दिनभर बैकुंठ द्वार से अंदर जाकर और लौट कर अपनी आस्था प्रकट की।

 

 

यह विशेष बैकुंठ द्वार अगले 5 दिन तक खुला रहेगा उत्सव मंदिर के युवा प्रबंधक अभिनव नारायण तिवारी एवं अध्यक्ष “मुकुल” विजय नारायण तिवारी तथा राघव नारायण तिवारी के नेतृत्व में संपन्न हुआ ।

 

यह उत्सव में वृंदावन, नैमिषारण एवं प्रयागराज अयोध्या आदि से अनेक भक्त एवं आचार्य ने भाग लिया ।

 

मध्यान्ह एकादशी का सार्वजनिक भंडारा संपन्न हुआ जिसमें दही पेड़ा एवं फलाहारी प्रसाद (कुटू के आटे की पूरी एवं सब्जी) सामूहिक वितरण हुआ ।

 

प्रमुख रूप से श्री बद्रीनारायण तिवारी , राजेश प्रसाद पांडे, अनिल कुमार शर्मा, मनोज तिवारी, जागेंद्र अवस्थी, मनोज सिंगर, अमिताभ बाजपेई, सलिल बिश्नोई, अवध बिहारी मिश्रा, सुरेश अवस्थी, अंगद सिंह, धर्म प्रकाश गुप्ता, महेश मिश्रा, शंकर दत्त मिश्रा, हर प्रकाश अग्निहोत्री, अजय कुमार शर्मा, राजेश मिश्रा आदि रहे।

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