भारतीय हिन्दुओं का बाली से एक विशेष भावनात्मक रिश्ता है। आपको भारत से अपेक्षाकृत कहीं अधिक हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बाली के सार्वजनिक स्थलों में देखने को मिलेंगी। बाली के सडकों के नाम भी भारतीय मूल के हैं। इनमें कई नाम पौराणिक कथाओं के प्रसिद्ध पात्रों के नामों से व्युत्पन्न हैं, जैसे भीम, हनुमान इत्यादि। यहाँ प्रदर्शित रामायण देख आप अचंभित रह जायेंगे।

विदेशी भी जहां हिन्दू रीति रिवाज से पूजा अर्चना करते है। जगह है जल मन्दिर, बाली, इंडोनेशिया।

इंडोनेशिया का बाली द्वीप उसकी सुन्दरता, शांत वातावरण एवं सुरम्य समुद्रतटों से जाना जाता है। आप में से जिसने भी बाली भ्रमण किया है, उन्होंने इसका अनुभव अवश्य लिया होगा। वो सुखद स्मृतियों अब भी आपके मन को में विचरण कराती होंगी।

तीर्थ एम्पुल बाली का व्यस्ततम एवं सर्वाधिक सक्रिय मंदिर है। इसके विशाल परिसर के भीतर देखने एव् समझने हेतु बहुत कुछ है। इसके प्रवेशद्वार पर ही एक विशाल वृक्ष है। इसके चारों ओर बने मंच पर चढ़ावा अर्पित कर आराधना की जाती है। आप को बता दूँ, यदि आप बाली के हिन्दू नहीं हैं तो आप इस मंच पर नहीं चढ़ सकते। आप केवल मंच के चारों ओर परिक्रमा कर सकते हैं। केवल बाली के हिन्दुओं को ही इसकी आराधना करने की अनुमति है।

तीर्थ एम्पुल का बाली भाषा में शाब्दिक अर्थ है पवित्र स्त्रोत। १० वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर एक जल स्त्रोत के चारों ओर स्थापित है। यह जल स्त्रोत पाकेरिसन नदी का उद्गम स्त्रोत है। इसी स्त्रोत के नाम पर ही इस मंदिर का नाम तीर्थ एम्पुल रखा गया है।

जल श्रोत का जल कई जल-मुखों से बाहर निकलकर एक विशाल कुंड में इकठ्ठा होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह जल कुंड तीर्थ एम्पुल के दर्शनार्थियों हेतु सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र है क्योंकि प्रत्येक जल-मुख के सम्मुख एक लंबी पंक्ति लगती है। वे उस पवित्र जल में शुद्धिकरण स्नान हेतु अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। कई दर्शनार्थी कुंड के समीप स्थित मंच पर भी प्रतीक्षारत बैठे रहते हैं।

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