गाय के अंगों में सम्पूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है । गाय की छाया भी बड़ी शुभ मानी गयी है । यात्रा के समय गाय या साँड़ दाहिने आ जाय तो शुभ माना जाता है और उसके दर्शन से यात्रा सफल हो जाती है । दूध पिलाती गाय का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है गाय महान् पवित्र होती है । उसके शरीर का स्पर्श करनेवाली हवा भी पवित्र होती है । उसके गोबर-गोमूत्र भी पवित्र होते हैं । जहाँ गाय बैठती है, वहाँ की भूमि पवित्र होती है । गाय के चरणों की रज (धूल) भी पवित्र होती है ।

 

गाय से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष‒इन चारों की सिद्धि होती है । गोपालन से, गाय के दूध, घी, गोबर आदि से धन की वृद्धि होती है । कोई भी धार्मिक कृत्य गाय के बिना नहीं होता । सम्पूर्ण धार्मिक कार्यों में गाय का दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र काम में आते हैं । कामनापूर्ति के लिये किये जानेवाले यज्ञों में भी गाय का घी आदि काम में आता है । बाजीकरण आदि प्रयोगों में भी गाय के दूध और घी की मुख्यता रहती है । निष्कामभाव से गाय की सेवा करने से मोक्ष होता है । गाय की सेवा करनेमात्र से अन्तःकरण निर्मल होता है । भगवान् श्रीकृष्ण ने भी बिना जूती के गायों को चराया था, जिससे उनका नाम ‘गोपाल’ पड़ा । प्राचीन काल में ऋषिलोग वन में रहते हुए अपने पास गायें रखा करते थे । गाय के दूध-घी का सेवन करने से उनकी बुद्धि बड़ी विलक्षण होती थी, जिससे वे बड़े-बड़े ग्रन्थों की रचना किया करते थे । आजकल तो उन ग्रन्थों को ठीक-ठीक समझनेवाले भी कम हैं । गाय के दूध-घी से वे दीर्घायु होते थे । गाय के घी का एक नाम ‘आयु’ भी है । बड़े-बड़े राजालोग भी उन ऋषियों के पास आते थे और उनकी सलाह से राज्य चलाते थे ।

 

गाय इतनी पवित्र है कि देवताओं ने भी उसको अपना निवास-स्थान बनाया है । जिसका गोबर और गोमूत्र भी इतना पवित्र है, फिर वह स्वयं कितनी पवित्र होगी ! एक गाय का पूजन करने से सब देवताओं का पूजन हो जाता है, जिससे सब देवताओं को पुष्टि मिलती है । पुष्ट हुए देवताओं के द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन, पालन, रक्षण होता है ।

 

जगत माता जग तारिणी गौ माता की जय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *