मध्यप्रदेश के इंदौर शहर व आसपास के क्षेत्र के लोगों को खजराना के गणेश मन्दिर में बहुत विश्वास है परम्परानुसार यदि कोई शुभ कार्य , शादी , जन्मदिन है तो भक्त सबसे पहले इस मन्दिर में जाते हैं और सिंदूर का तिलक लगाते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में आयोजित सभी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए पहला निमंत्रण खजराना गणेशजी को ही चढ़ाया जाता है। इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इस मन्दिर में स्वयंभू सिन्दूर की गणपतिजी की मूर्ति है ; गणेशजी की आंखें हीरे से बनी हुई हैं जिसे इंदौर के एक व्यवसायी ने दान में दी थीं। खजराना गणेश मन्दिर परिसर में 33 छोटे और बड़े मन्दिर हैं।भगवान राम , शिव , माँ दुर्गा , साईं बाबा , और हनुमानजी सहित कई देवताओं के मन्दिर हैं। गर्भगृह की ऊपरी बाहरी दीवार चांदी से बनी है। और उन पर विभिन्न मनोदशाओं और उत्सवों का चित्रण किया गया है। मन्दिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है। इस पीपल के पेड़ को इच्छाधारी वृक्ष माना जाता है। मन्दिर में सोने , हीरे और अन्य बहुमूल्य रत्नों का नियमित दान किया जाता है। यह मन्दिर भारत के सबसे समृद्ध मन्दिरों में से एक है। भक्तों के द्वारा चढ़ाये जाना वाला धन – दौलत की वजह से यह भारत के सबसे धनी मन्दिरों में शामिल है। जब से यहाँ ऑनलाइन दान, चढ़ावा देने का सिस्टम बना है तब से लोग ऑनलाइन भारी संख्या में दान व चढ़ावा भेजते हैं। मन्दिर का प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि आतताइयों से मूर्ति की रक्षा करने के लिए , मूर्ति को एक कुएं में छुपा दिया गया था और वर्षों बाद , मंगल भट्ट नामक पंडितजी को स्वप्न आया और उन्होंने स्वप्न में मूर्ति को पहचान लिया फिर इस मुर्ति को कुएं से निकाल लिया गया था और 1735 में इस मन्दिर की स्थापना महारानीअहिल्याबाई होल्कर द्वारा की गई थी l प्रारंभ में यह मन्दिर एक छोटी सी झोपड़ी में था जो अब

एक विशाल प्रतिष्ठित शहर का सबसे पूजनीय मन्दिर है। इस मन्दिर में सोने , हीरे और अन्य कीमती रत्नों का दान किया जाता है। स्थानीय मान्यतानुसार , इस मन्दिर में पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यह गणेश मन्दिर देश के धनी मन्दिरों में से एक है , इस मन्दिर के चमत्कार की कहानी दूर दूर तक फैली हुई है l यहाँ आने वाले भक्तों की आस्था और विश्वास का ये वो पावन स्थान है जहाँ गणेश भगवान के चमत्कार देखने को मिलते हैं l चाहे संतान की कामना हो , धन की इच्छा हो , नौकरी की जरूरत हो या फिर विद्या और बुद्धि का वरदान हो भक्तों को इस मन्दिर में आकर मिलता है बप्पा गणेश का वरदान l इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इस मन्दिर में स्वयंभू गणपतिजी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं l बस भक्तों को यहाँ आकर भगवान गणेशजी के इस मन्दिर के पीछे की दीवार यानी गणेशजी की पीठ पर उल्टा स्वस्तिक चिह्न बनाना होता हैं और मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा आकर स्वस्तिक को सीधा बनाना होता हैं l कहते हैं यह चलन यहाँ पर कई सालों से चला आ रहा है, माना जाता है कि इस मन्दिर में उल्टा स्वस्तिक बनाने से हर मुराद पूरी हो जाती है l एक अन्य मान्यता है कि मन्दिर की तीन परिक्रमा लगाते हुए धागा बांधने से भी इच्छापूर्ति होती है l

यह मन्दिर भारत के प्रसिद्ध हिंदू गणेश मन्दिरों में से एक है। ज्यादातर बुधवार एवं रविवार को विशाल संख्या मे लोग दर्शन करने के लिए इस मन्दिर में आते हैं। इस मन्दिर का मुख्य त्योहार विनायक चतुर्थी है और इसे अगस्त और सितंबर के महीने में भव्य तरीके से आयोजित किया जाता हैl

रेल्वेस्टेशन इन्दौर से करीब 5 कि.मी. एवं एअरपोर्ट से करीब 12 कि.मी. की दूरी पर यह प्रसिद्ध खजराना गणेश मन्दिर है

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