भारतीय बाल रोग एकेडमी द्वारा अस्थमा पर कार्यशाला का आयोजन

कानपुर नगर, भारतीय बाल रोग एकेडमी द्वारा अस्थमा पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर जे एन भल्ला, , डॉक्टर योगेश टंडन, डॉक्टर वी एन त्रिपाठी, डॉक्टर सुनील तनेजा ने की। कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष डॉ यशवन्त राव व सचिव डॉक्टर अमितेश यादव ने किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बैंगलोर से आए डॉक्टर सुब्रमण्यम एन के ने बताया अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने कठिनाई होती हैl

उन्होंने बताया अस्थमा होने पर स्वसन नलियों में सुजन आ जाती है जिस कारण स्वसन मार्ग सिकोड़ जाता है स्वसन नली सिकुड़न की चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना ,सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्याए होने लगती है l लक्षणों के आधार पर अस्थमा के दो प्रकार होते हैं बाहरी और आंतरिक अस्थमा बाहरी अस्थमा जो की पराग, जानवरों ,धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे की सिगरेट का धुआं ,पेंट वेप र्स आदि l,

लखनऊ से आई डॉक्टर शीतांशू श्रीवास्तव ने बताया कि आमतौर पर विशेष डॉक्टर अस्थमा को उसके लक्षणों के आधार पर पता कर लेते हैं लेकिन कभी-कभी कुछ लक्षण भ्रमित करते हैं जिसकी वजह से डॉक्टर भी अस्थमा की जांच के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं जिसके माध्यम से बीमारी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है जिसके आधार पर रोग का इलाज कर मरीज को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है अस्थमा में खासतौर से फेफड़ों की जांच की जाती है जिसके अंतर्गत स्प्रेोमेट्री ,पीक फ्लो और फेफड़ों के कार्य का परीक्षण शामिल है इन जांचों को अलग-अलग स्थितियों में किया जाता है अस्थमा के निदान के लिए कई टेस्ट किए जाते हैं इमेजिंग टेस्ट एलर्जी टेस्टिंग आदि है डॉक्टर रश्मि कपूर ने बताया कि अस्थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं अस्थमा में इनहेल्ड स्टेरॉयड (नाक के माध्यम से दी जाने की दवा )और इन्हेलर का भी इलाज में प्रयोग किया जाता है जिसके माध्यम से फेफड़ों में दवाइयां पहुंचने का काम किया जाता है lडॉ राज तिलक ने बताया कि बच्चों में अस्थमा के लक्षण एक जैसे नहीं होते हैं एक ही बच्चों में हर बार लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं बचपन में अस्थमा के लक्षणों में यह शामिल हो सकते हैं बार-बार खांसी आना, तेजी से सांस लेना या सांस फूलना, सीने में जकड़न या सीने में दर्द की शिकायत करना ,जब बच्चा सांस लेता है छोड़ता है सिटी जैसी आवाज आना, आदि लक्षण हैl

कार्यक्रम में , डॉक्टर पदम कांत, डॉक्टर के के डोकानिया, डॉक्टर ए के आर्या,डॉक्टर देवेंद्र अवस्थी, डॉक्टर शैलेंद्र गौतम, डॉक्टर जेके गुप्ता ,डॉ अनुराग भारती, डॉक्टर आर सी गुप्ता, डॉक्टर निधिका पाण्डेय,डॉक्टर नेहा अग्रवाल वा लगभग 90बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद थेl

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